The Basic Principles Of sidh kunjika
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं click here पठेत्।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।